हमेशा अच्छी संगति में ही रहे

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

आप कितने भी अच्छे हो लेकिन यदि आपकी संगति अच्छी नहीं है तो आपकी हालत उसे चंदन के पेड़ की तरह होने वाली है जिस पर सांप लपेटे हुए होते हैं. जिसे देखकर सभी लोग दूर रहना चाहते हैं। 

संगति का जीवन पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है कहा जाता है जब आप अच्छी संगति में बैठते हैं तो आपकी बुद्धि भी अच्छी हो जाती है और आपके साथ सब अच्छा-अच्छा होता है लेकिन जब आप कुसंगति में बैठते हैं तो आपको सब कुछ खराब दिखाई देता है आपके साथ सब बुरा ही होता है। 

बुरा व्यक्ति कोयले की तरह होता है ना ही बुरे व्यक्ति से दोस्ती की जाती है ना ही दुश्मनी की जाती है। कहां गया है जब आप बुरे व्यक्ति से दोस्ती करोगे तो वह आपको सारी दुनिया में बदनाम कर देगा आपके मुंह पर कालिख पोत देगा और अगर आप बुरे व्यक्ति से दुश्मनी करेंगे तो वह आपका नुकसान करने की ही कोशिश करेगा जिस प्रकार कोयला जब ठंडा होता है तो हाथ को काला कर देता है और जब गर्म होता है तो हाथ को जला देता है। 

यदि आपको कोई भी अच्छा व्यक्ति नहीं दिखाई देता है तो आप अकेले रहिए लेकिन किसी भी बुरे व्यक्ति से दोस्ती मत कीजिए

संगति का जीवन पर बहुत गहरा असर होता है।खुद की नजर में भी और भगवान के नजर में भी।

एक बार एक शिकारी शिकार करने गया,शिकार नहीं मिला, थकान हुई और एक वृक्ष के नीचे आकर सो गया। पवन का वेग अधिक था, तो वृक्ष की छाया कभी कम-ज्यादा हो रही थी, डालियों के यहाँ-वहाँ हिलने के कारण।

वहीं से एक अतिसुन्दर हंस उड़कर जा रहा था, उस हंस ने देखा की वह व्यक्ति बेचारा परेशान हो रहा हैं, धूप उसके मुँह पर आ रही हैं तो ठीक से सो नहीं पा रहा हैं, तो वह हंस पेड़ की डाली पर अपने पंख खोल कर बैठ गया ताकि उसकी छाँव में वह शिकारी आराम से सोयें। जब वह सो रहा था तभी एक कौआ आकर उसी डाली पर बैठा, इधर-उधर देखा और बिना कुछ सोचे-समझे शिकारी के ऊपर अपना मल विसर्जन कर वहाँ से उड़ गया। तभी शिकारी उठ गया और गुस्से से यहाँ-वहाँ देखने लगा और उसकी नज़र हंस पर पड़ी और उसने तुरंत धनुष बाण निकाला और उस हंस को मार दिया।

 हंस नीचे गिरा और मरते-मरते हंस ने कहा:- मैं तो आपकी सेवा कर रहा था, मैं तो आपको छाँव दे रहा था, आपने मुझे ही मार दिया? इसमें मेरा क्या दोष? उस समय उस पद्मपुराण के शिकारी ने कहा: यद्यपि आपका जन्म उच्च परिवार में हुआ, आपकी सोच आपके तन की तरह ही सुंदर हैं, आपके संस्कार शुद्ध हैं, यहाँ तक की आप अच्छे इरादे से मेरे लिए पेड़ की डाली पर बैठ मेरी सेवा कर रहे थे, लेकिन आपसे एक गलती हो गयी, की जब आपके पास कौआ आकर बैठा तो आपको उसी समय उड़ जाना चाहिए था। उस दुष्ट कौए के साथ एक घड़ी की संगत ने ही आपको मृत्यु के द्वार पर पहुंचाया हैं।

शिक्षा: संसार में संगति का सदैव ध्यान रखना चाहिये। जो मन, कार्य और बुद्धि से परमहंस हैं उन्हें कौओं से दूरी बनायें रखना चाहिए।

हमेशा अच्छे दोस्त बनकर चलना चाहिए और अच्छी ही संगति में रहना चाहिए। जहां लोग बुराई करते हैं उनके पास कभी नहीं बैठना चाहिए। जहां लोग दूसरे की निंदा करते हैं या दूसरे का उपहास करते हैं उनसे दूर हो जाना चाहिए। जो लोग गाली गलौज देकर बातें करते हैं उनके पास कभी खड़े भी नहीं होना चाहिए। हमें अपने मुंह से किसी को भी गंदा नहीं बोलना चाहिए किसी के लिए झूठ नहीं बोलना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि हमारी संगति अच्छी हो। 


लेखिका-ऊषा शुक्ला

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