युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
छट गई है देखो कालिमा
सूर्य आ गये है उत्तरायण की ओर
हो गई है सारी तमस अब दूर
प्रकृति रंग चुका है लालिमा लिए भोर
भर लो जल अब अंजुली में
अर्पण करो सूर्य नारायण की ओर
नभ में खिलखिला रहा है
पतंग लेकर नई जोश और उमंग
भर लें हम सभी चलों एक नई उड़ान
ना हो अपनी डोर किसी दूजे
की हाथों से लिपटी उसके ओर
गुड़ तिल की मिठास लाए आप सभी के
जीवन में अनेकों मिठास
भूल न जाना कहीं कोई तो
खड़ा हो नहीं,सहायता के लिए
इसलिए थोड़ा दान पुण्य के लिए
कदम बढ़ाए द्वार की ओर
सुंदर मन हो भक्ती की ओर
मधूर वाणी से बांध दो सभी में प्रेम डोर
खिलखिला रही है देखो प्रकृति
सूर्य जो आ गए उत्तरायण की ओर
– प्रिया प्रसाद
( पश्चिम बंगाल)