बेटी का आज

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क


ऊर्जा असीम  रखतीं,  जाँचॅ  चुनौतियाँ।

आगत स्वदेश रचतीं,  जानें   गठौतियाँ।

सहभाग निज बढ़ाती,  बेटी   विलक्षणी-

परिवेश जोड़तीं वे,     आधार  श्रौतियाँ ।


सबसे सखीत्व  साधे, बेटी वही सुधा।

अनुकूलता बनालें,रख ज्ञान की क्षुधा।

गृहकाज कोसँवारे,सहकार्य थलदिपें-

भारत विहान रच दें, शोधें नहीं  मुधा। 


परमाणु की तरंगें,  अध्यात्म  ज्ञान  दें।

बेटी लगे भवात्मा, परमार्थ  भान   दें।

वेदों उपनिषदों के, हर मंत्र में  सजें-

जो गेह छोड़ जातीं, उसको  सयान दें।

सयान= सहगमन ,


मीरा भारती।