युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
फिर उसके वादे पर ऐतबार किया,
फिर उस बेवफ़ा का इंतज़ार किया।
वादे वफ़ा से न वास्ता है जिसका,
उसकी यादों में दिल आज़ार किया।
शब-ओ-रोज़ उसकी दुआ माँगते हैं,
जिसने बर्बाद सर-ए-बाज़ार किया।
आब-ए-हयात समझा था जिसको,
ज़हर पिलाके हम पे इख़्तियार किया।
बनके पासबाँ अकेला छोड़ गया,
तन्हाई से रहगुज़र गुलज़ार किया।
डॉ.रीमा सिन्हा
लखनऊ-उत्तर प्रदेश