पूरी दुनियां में बजेगा भारत का डंका !

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 

भारत 2030 तक दुनियां की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा 

दुनियां में भारत इस समय सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यस्थाओं में से एक है - एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया 

गोंदिया - वैश्विक स्तरपर भारत तेजी से बढ़ाने वाली अर्थव्यवस्था बन गया है, जिसकी पुष्टि अमेरिकी रेटिंग एजेंसीज सहित विश्व बैंक भी कर चुका है, जबकि वैश्विक मंदी के दौर में भारत की वित्तीय अर्थव्यवस्था सुदृढ़ हो रही है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इस साल के अंत या वर्ष 2024 के शुरुआती महीनों में अमेरिका यूरोप में मंदी आने की संभावनाएं जताई जा रही है। परंतु भारत ही एक ऐसा देश है जहां स्थिरता ही नहीं एक्सपोर्ट भी बढ़ता जा रहा ह जीएसटी कलेक्शन हर माह तेजी से बढ़ रहा है, विकास कार्यों में तेजी आ रही है। चूंकि आज दिनांक 5 दिसंबर 2023 को एक अमेरिकी रेटिंग कंपनी ने आकलन किया है कि वित्त वर्ष 2025-2026 में भारत की जीडीपी का ग्रोथ रेट 6.9 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, भारत 2030 तक दुनियां की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।  

साथियों बात अगर हम दिनांक 5 दिसंबर 2023 को एक अमेरिकी रेटिंग कंपनी के आकलन की करें तो, एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग्स का कहना है कि 2030 तक भारत दुनियां की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। एजेंसी का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2026-27 में देश की ग्रोथ रेट 7 प्रतिशत  पहुंच जाएगी। ग्लोबल क्रेडिट आउटलुक 2024  में एस एंड पी ने लिखा कि हमें लगता है वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 6.4प्रतिशत रहेगी। जबकि वित्त वर्ष 2025-26 में जीडीपी ग्रोथ रेट 6.9प्रतिशत पहुंच जाएगी, एजेंसी ने आगे लिखा, भारत 2030 तक दुनियां की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा और हमारी उम्मीद है कि बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत अगले तीन साल तक सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था होगा। फिलहाल भारत दुनियां की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। भारत से पहले अमेरिका, चीन, जर्मनी और जापान हैं। एजेंसी ने कहा, बड़ा टेस्ट इस बात का होगा कि क्या भारत अगला बड़ा ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बन सकेगा या नहीं, जो एक बड़ा मौका है। एक मजबूत लॉजिस्टिक्स फ्रेमवर्क, भारत को एक सर्विस बेस्ड इकोनॉमी से मैन्युफैक्चरिंग डोमिनेटेड इकोनॉमी बनाने में अहम फैक्टर रहेगा। जबकि लेबर मार्केट का भारत कितना लाभ उठा पाता है, ये इस पर निर्भर करेगा कि लोगों को कितना कुशल बनाया जाता है और वर्कफोर्स में महिला भागीदारी कितनी बढ़ती है। रेटिंग एजेंसी मूडीज ने मंगलवार को चीन की अर्थव्यवस्था के आउटलुक को स्टेबल से घटाकर नेगेटिव कर दिया है। इसकी वजह लगातार मीडियम टर्म इकोनॉमिक ग्रोथ का कमजोर रहना और प्रॉपर्टी सेक्टर का कमजोर होना रही है। हालांकि एजेंसी ने चीन की ओवरऑल रेटिंग ए 1' पर बरकरार है।भारत इस समय दुनियां में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. हालांकि अभी देश की जीडीपी फिलहाल 4 ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को नहीं छू पाई है, लेकिन इस नई ऊंचाई तक पहुंचने से बहुत दूर भी नहीं है। दरअसल रविवार को सोशल मीडिया पर एक स्क्रीनशॉट बहुत वायरल हुआ, जिसमें भारत की जीडीपी 4 ट्रिलियन डॉलर हो जाने का दावा किया जा रहा था। एक नई उपलब्धि के तौर पर कई सोशल मीडिया चैनलों ने इसे हाथो-हाथ लिया। हालांकि बाद में पता चला कि ये स्क्रीनशॉट सही नहीं है, परंतु 2030 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा भारत।बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत अगले तीन साल तक सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था होगा।

साथियों बात अगर हम पीएम के 5 इंडियन डॉलर अर्थव्यवस्था के सपने की करें तो हमारे माननीय पीएम ने इंडियन इकोनॉमी को लेकर जो सपना देखा है, उसका जिक्र उन्होंने और उनकी सरकार के मंत्रियों ने कई मौकों पर किया है। इनमें एक है कि आने वाले पांच-छह साल में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी के तौर पर पेश करना,भारत अभी करीब 3.7 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और दुनियां में सबसे तेजी से आगे बढ़ती इकोनॉमी बना हुआ है. वर्ल्ड बैंक से लेकर आईएमएफ जैसे वैश्विक निकायों से लेकर तमाम रेटिंग एजेंसियां भी भारत को लेकर सकारात्मक बनी हुई हैं। इसके साथ पीएम  के भारत को तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के सपने को लेकर भरोसा जताया है और कहा है कि भारत 2030 तक ये कमाल कर सकता है। मंगलवार को जारी ग्लोबल क्रेडिट आउटलुक 2024 में रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल ने कहा है कि भारत 2030 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। इसके साथ ही इसमें कहा गया कि वित्त वर्ष 2026 -27 में देश की जीडीपी वृद्धि 7 फीसदी तक पहुंचने का अनुमान है। एसएंडपी ने मार्च 2024 (2023-24) तक वित्त वर्ष में 6.4 फीसदी जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया है, जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह 7.2 फीसदी रही थी। रेटिंग एजेंसी के अनुसार, ग्रोथ रेट अगले वित्त वर्ष (2024-25) में 6.9 फीसदी पर पहुंचने से पहले 6.4 फीसदी बनी रहेगी और 2026-27 में ये 7 फीसदी पर पहुंच जाएगी।

साथियों बात अगर हम जीडीपी को समझने करें तो जीडीपी इकोनॉमी की हेल्थ को ट्रैक करने के लिए उपयोग किए जाने वाले सबसे कॉमन इंडिकेटर्स में से एक है।जीडीपी देश के भीतर एक स्पेसिफिक टाइम पीरियड में प्रोड्यूस सभी गुड्स और सर्विस की वैल्यू को रिप्रजेंट करती है। इसमें देश की सीमा के अंदर रहकर जो विदेशी कंपनियां प्रोडक्शन करती हैं, उन्हें भी शामिल किया जाता है। जब इकोनॉमी हेल्दी होती है, तो आमतौर पर बेरोजगारी का लेवल कम होता है। जीडीपी दो तरह की होती है। रियल जीडीपी और नॉमिनल जीडीपी। रियल जीडीपी में गुड्स और सर्विस की वैल्यू का कैलकुलेशन बेस ईयर की वैल्यू या स्टेबल प्राइस पर किया जाता है। फिलहाल जीडीपी को कैलकुलेट करने के लिए बेस ईयर 2011-12 है। यानी 2011-12 में गुड्स और सर्विस के जो रेट थे, उस हिसाब से कैलकुलेशन। वहीं नॉमिनल जीडीपी काकैलकुलेशन करेंट प्राइस पर किया जाता है। जीडीपी को कैलकुलेट करने के लिए एक फॉर्मूले का इस्तेमाल किया जाता है।जीडीपी=सी+जी+आई+एन एक्स, यहां सी का मतलब है प्राइवेट कंजम्प्शन, जी का मतलब गवर्नमेंट स्पेंडिंग, आई का मतलब इन्वेस्टमेंट और एनएक्स का मतलब नेट एक्सपोर्ट है। जीडीपी को घटाने या बढ़ाने के लिए चार इम्पॉर्टेंट इंजन होते हैं। पहला है, आप और हम। आप जितना खर्च करते हैं, वो हमारी इकोनॉमी में योगदान देता है। दूसरा है, प्राइवेट सेक्टर की बिजनेस ग्रोथ। ये जीडीपी में 32प्रतिशत योगदान देती है। तीसरा है, सरकारी खर्च।इसका मतलब है गुड्स और सर्विसेस प्रोड्यूस करने में सरकार कितना खर्च कर रही है। इसका जीडीपी में 11 प्रतिशत योगदान है। और चौथा है, नेट डिमांड। इसके लिए भारत के कुल एक्सपोर्ट को कुल इम्पोर्ट से घटाया जाता है, क्योंकि भारत में एक्सपोर्ट के मुकाबले इम्पोर्ट ज्यादा है, इसलिए इसका इम्पैक्ट जीडीपी पर निगेटिव ही पड़ता है।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि पूरी दुनियां में बजेगा भारत का डंका ! भारत 2030 तक दुनियां की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।दुनियां में भारत इस समय सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यस्थाओं में से एक है।

-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र