चाहत की बरखा

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क


बरसेगा जब मोहब्बत का बादल भीगेगे उसमें मैं और तुम हर पल....

मैं बरखा सी इतराऊं तितली से उड़ जाऊं

तू देखे तो शरमाऊ तू ढूंढे तो छिप जाऊं 

मचती है दिल में अब मेरे हल-चल,,

बरसेगा जब मोहब्बत का बादल भीगेगे उसमें मैं और तुम हर पल...

मैं कोयल से बोलूंगी सरगम से खेलूंगी होगा बस दिल में तू ही पिया

वाणी के धागों में ख्वाओं के मोती पिरोती सिया....

तेरे बिन ना धड़के का ये दिल-विल,,,

बरसेगा जब मोहब्बत का बादल भीगेगे उसमें मैं और तुम हर पल...

कसमकस है ये कैसी कुछ तेरे कुछ मेरे जैसी 

रहूं मैं तेरी बाहों में हर दम मांगू खुदा से ये दुआ

तू जो घुला सांसों में मेरे जैसे खुशनुमा कोई शमा

कब तक रहेगा यूं बेगाना आकर जरा मुझसे घुल-मिल,,,,

बरसेगा जब मोहब्बत का बादल भीगेगे उसमें मैं और तुम हर पल....


अभिषेक दीक्षित

मिलन हाइट्स इंदौर