युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
अक्सर हम अपनी सतही जानकारियों,
सीमाबद्ध सोच के आधार पर
किसी व्यक्ति, वस्तु या परिस्थिति को
नकारात्मक नजरिए से देख लेते हैं
पूर्वाग्रहों, स्थापित मान्यताओं और
तयशुदा धारणाओं के जाले,
कुहासे व धुंध को हटाके देखें तो
आश्चर्य से उजली, चमकीली
उम्मीदों भरी दुनिया नजर आने लगेगी।
खुद का आकलन करने में बाधक बनते
तमाम स्थापित तथ्यों को बदलते हुए
उदारता, समग्रता, पारद दृष्टिकोण से
नज़रिया बदलने की आवश्यकता है
जिंदगी में समावेश करते हुए
अपनी सकारात्मक दृष्टि उन्नत,
प्रगतिशील, गतिमान, विकसित हो
मन का भय, संशय, कंफ्यूजन से
हिचक भरी महसूस नहीं हो सकेगी।
बदलाव का कोई तयशुदा नियम नहीं
लेकिन अक्सर वह व्यक्ति जीतता
जो खुद को बदलने तत्पर व तैयार हो
जीवन में जितना कम सामान
सफर उतना ही आसान होगा
समय, परिस्थितियों के हिसाब से
खुद में फेर बदल करते रहिए
नई दुनिया की महक खुद-ब-खुद
आपकी ओर चलकर, दौड़कर आएगी।
डॉ. मनीष दवे, महालक्ष्मी नगर, इंदौर