तेरी खातिर

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

तुम तक आने की खातिर मोहन

रास्ते कई पार किए

सात समुंदर छलिया मैंने

प्यार में तेरे प्यार किए।

चलती रही मैं चलती रही

गिरती रही तू संभालता रहा।

भ्रम था मेरा कर रही हूं मैं

हर कदम मुझे चेताता रहा

समझी ना अज्ञानी थी बड़ी

तू तो मुझको बताता रहा।

भ्रम में पड़े उलझी रही।

मोह माया में फंसती रही

पास आई आज कृपा से तेरी

अज्ञानता मिटा दो प्रभु अब तो मेरी।

                 रचनाकार ✍️

                 मधु अरोरा