बंसी की धुन

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क


फिर से मृदु मुस्कान दिखा दो,

इंसान में मानवता जगा दो,

रूठी धरा में हरियाली ला दो,

हे कान्हा!बंसी की धुन सुना दो।


हो जाये जग ये विस्मित,

प्रेम प्रकाश से दुनिया सस्मित।

खो गयी है शांति जो,उसे ला दो,

हे कान्हा बंसी की धुन सुना दो।


मन का तम हर लो,

रुग्णता का नाश कर दो।

एकता की गंगा बहा दो,

हे कान्हा,बंसी की धुन सुना दो।


तेरी बांसुरी की दुनिया दीवानी,

राधा,मीरा,गोपियां सबकी एक कहानी।

जाग,पुनः समरसता की तान सुना दो

हे कान्हा!बंसी की धुन सुना दो।


               रीमा सिन्हा (लखनऊ)