जयप्रकाश का बिगुल बजा तो

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क


जयप्रकाश का बिगुल बजा तो जाग उठी तरुणाई है।

तिलक लगाने तुम्हें जवानों क्रांति द्वार पर आई है।

जयप्रकाश का बिगुल बजा तो---------------------।


कौन चलेगा आज देश से भ्रष्टाचार मिटाने को।

बर्बरता से लोहा लेने सत्ता से टकराने को।


आज देख लें कौन रचाता मौत के साथ सगाई है।

तिलक लगाने तुम्हें जवानों क्रांति द्वार पर आई है।

जयप्रकाश का बिगुल बजा तो------------------।


पर्वत की दीवार कभी क्या रोक सकी तूफानों को।

क्या बंदूकें रोक सकेंगी बढ़ते हुए जवानों को।


चूर चूर हो गई शक्ति वह जो हमसे टकराई है।

तिलक लगाने तुहें जवानों क्रांति द्वार पर आई है।

जयप्रकाश का बिगुल बजा तो-----------------।


लाख लाख झोपड़ियों में तो छाई हुई उदासी है।

सत्ता सम्पति के बंगलों में हंसती पूरनमासी है।


अब यह सब ना चलने देंगे हमने कसमें खाई हैं।

तिलक लगाने तुम्हें जवानों क्रांति द्वार पर आई है।

जयप्रकाश का बिगुल बजा तो------------------।


सावधान पद या पैसे से होना है गुमराह नहीं।

सीने पर गोली खाकर भी निकले मुंह से आह नहीं।


ऐसे वीर जवानों ने ही देश की लाज बचाई है।

तिलक लगाने तुम्हें जवानों क्रांति द्वार पर आई है।

जयप्रकाश का बिगुल बज तो--------------------।


आओ कृषक श्रमिक नागरिकों इंकलाब का नारा दो।

कविजन शिक्षक बुद्धिजीवियों अनुभव भरा सहारा दो।


फिर देखें हम सत्ता कितनी बर्बर है बौराई है।

तिलक लगाने तुम्हें जवानों क्रांति द्वार पर आई है।

जयप्रकाश का बिगुल बजा तो------------------।


-रामगोपाल दीक्षित