जनता पर भार बढ़ाया है

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क   


ख़बर पढ़ी अखबार में मन में आया यह विचार,

पूछताछ केंद्र रेलवे ने बंद किये यात्री किस से पुछे बार बार,


पूछते थे जिस खिड़की पर आकर बच्चे बुढ़े नर और नारी,

वो अधिकार भी छिन लिए यात्रा पर भी मार पड़ी है भारी,


हवाई चप्पल वालों से कर वादे,एयरलाइंस ही बिकवा दी,

कर निजीकरण देश में सरकारी सम्पत्ति ठिकाने लगा दी,


गरीबों की सवारी पर भी नज़र बड़ी अब भारी है,

रेलवे को भी बेचने की क्या कर रखी तैयारी है,


रूपया दम तोड़ रहा सिसक रहा बड़ा भारी है,

कारण क्या है मुखिया जी अब तो सरकार तुम्हारी है,


कालाधन विदेशों से लाने की अब बात नहीं करते,

योग गुरु भी अब कालेधन का प्रचार नहीं करते,


ऐसा क्या हुआ जो सरकारी स्कूल भी बंद करने पड़ रहे,

गरीब हितेषी बताते थे फिर गरीबों का ही दम तोड़ रहे,


देश की तरक्की में बड़ा योगदान बनाया है,

पेट ना पूरा भर सके उस पर भी टैक्स लगाया है,


पहले भूखमरी बेरोजगारी कम थी क्या जो इसको बढ़ाया है,

कर महंगाई देश में जनता पर और भारी बोझ बढ़ाया है,


रामेश्वर दास भांन

करनाल हरियाणा