रीति रिवाजों से सजा ये देश हमारा,
है पुलकित नभ और स्निग्ध धरा,
हर रीति में समाहित कुछ संस्कृति,
वेद पुराण सब सिखाते जीने की नीति।
पर समाज के कुछ ठेकेदारों ने,
हमारी रिवाजों को चकनाचूर किया,
कई कुरीतियों को जन्म देकर,
हमारी संस्कृति को नेस्तनाबूद किया।
दहेज प्रथा जैसी कुरीति,
एक कलुषित विचार है,
भ्रूण हत्या,यौन उत्पीड़न ,
घिनौना मानसिक विकार है।
मत भूलो हम गौतम नानक
के जन्मभूमि के वासी हैं,
अस्तित्व हमारा वसुधैव कुटुंबकम,
कण कण में मथुरा काशी है।
रीति रिवाज को समझकर ,
जो तुम अपनाओगे,
पा जाओगे स्वर्ग धरा पर,
जब कुरीतियों को मिटाओगे।
रीमा सिन्हा (लखनऊ)