माँ तू सुन ले मेरी पुकार,
नहीं आना मुझे इस संसार।
हाँ, मार दे गर्भ में मुझको,
तिल तिल मरना नहीं स्वीकार।
भूखे भेड़ियों से भरी है दुनियां,
कैसे सुरक्षित रहेगी मुनिया।
मेरे जन्म के साथ तू सुनेगी ताने,
बेटा क्यों न जन्मा,ऐसी बातें।
ग़र पढ़ लिख जाऊँगी मैं,
फिर भी कुछ न कर पाऊँगी मैं।
तुझ जैसी बिन पर के आज़ाद रहूँगी,
मन बहलाने को ये बात कहूँगी।
मुझे दहेज देने की ख़ातिर ,
घर जेवर बिक जायेगा।
दहेज लोभियों को फिर भी,
चैन कहाँ से आयेगा?
दंश तू झेलेगी बहुत,
मुझे जन्म देकर।
मार दे कोख में मुझको,
न आना मुझे बिटिया बनकर।
रीमा सिन्हा (लखनऊ)