सिंदूर

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

सिंदूर का महत्व क्या है जीवन में,

आज तुम्हें समझाती हूं।

अपनी बुद्धि के अनुसार

कुछ बातें तुम्हें बताती हूं।

सिंदूर नहीं है सिर्फ यह देखो,

कर्तव्य कि यह जंजीरे हैं।

धर्म की यह पतवार है,

तेरे मेरे मिलन की बहार है।

जीवन की मेरे श्वास है ,

अंगूठे अंगूली के स्पर्श ने,

पूरे शरीर में स्पंदन किया।

तेरे प्यार के लिए हरदम,

इसने तो सचेत किया।

तन मन के मिलन का देखो,

सुंदर तम संदेश दिया।

हाथ तेरा लगते ही देखो,

हर सांस तेरी हो गई।

पलके तेरे प्यार में,

 धीरे-धीरे बंद हो गई।

प्यार में तेरे खोने लगी,

दिल की धड़कन मेरी बढ़ने लगी।

रोम रोम उत्तेजित होने लगा।

मन मेरा तुझको ही पुकारे,

मेरे दिल पर बस तेरा पहरा हुआ।

अस्तित्व की प्रसन्नता का सूत्र,

कामना करती हूं तेरे लिए।

चुटकी भर सिंदूर ने,

तन मन मेरा है रंगा।

कभी यह हंसाएगा,

कभी यह रुलाएगा।

सुख दुख में एक दूजे का,

साथ यह निभाएगा।

मौन रहकर भी है मुझको,

कर्तव्य पथ पर बांधेगा।

कभी प्रेम का सागर बनेगा,

आनंद मेरा बढ़ाएगा।

जीवन में हम दोनों को,

संयम मर्यादा में रहना सिखाएगा।

सिर्फ में सिंदूर नहीं,

पूरा तुझको करता हूं।

बस साथ हम दोनों चले,

दुआ यही बस करता हूँ।

              रचनाकार ✍️

              मधु अरोरा