नारी (चौपाई )


युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 

जीवन में पूजित है नारी |

महिमा इनकी गाते सारी ||

रिश्ते सारे यही निभाती  |

संकट में नहिं घबराती ||

देवी जग की लगती प्यारी |

सुत कहते ममता महतारी ||

सुत को झूला हाथ झुलाती |

ममता सारी वही लुटाती ||

क्या कहती हो तुम ए नारी |

संकट सब पर तुम ही भारी ||

ईश्वर भी है शीश झुकाता |

वंदन सारा जग है गाता ||

पढ़ते घर -घर सब है गीता |

पूजी जाती मैया सीता ||

धर्म परायण होती नारी |

देख इसे बनते संसारी ||

कोमल काया करुणा धरती |

निज सुख  त्याग सदा वो करती ||

ब्रम्हा ने खुद रचना कीन्ही |

नारी क्षमता अद्भुद दीन्ही ||

सुंदर शोभित शील सुशीला |

सागर सम है इनकी लीला ||

देव दनुज सब शीश झुकाते |

शिव भी महिमा इनकी गाते ||

नारी की सुन गौरव गाथा |

मन श्रद्धा से झुकता माथा ||

संतति की पालक महतारी |

कठिन समय में कभी न हारी ||

अबला मत नारी को जानो |

इसकी क्षमता तुम सब जानो ||

जिसके साथ खड़ी हो नारी |

समझो संगत है त्रिपुरारी ||

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कवयित्री

कल्पना भदौरिया "स्वप्निल "

लखनऊ

उत्तरप्रदेश