तेरी महक से ग़ज़ल तेरी खुशबू से कविता लिखता हूं
लोग मुझे कहते हैं कि मैं बहुत अच्छा लिखता हूं
बादल और बारिश, तुझे झील और झरना लिखता हूं
मेरी रूह को प्यासी, मेरे जिस्म को भूखा लिखता हूं
तेरा नाम लिखते ही कलम चांदी की हो जाती है
तेरा चेहरा याद करके हर्फ हर्फ सुनहरा लिखता हूं
दिनभर अप्सरा लगती हो, शाम को एक परी सी
रात को तुझे चांद मानकर तेरे रूप की कथा लिखता हूं
थोड़ी मीठी हो थोड़ी खट्टी, कुछ भोली कुछ शोख
मैं लफ्जों के मसालों से तेरी हर एक अदा लिखता हूं
ये मुझे बरदाश्त नहीं कि कोई और तुझ पर कुछ लिखे
तुझे खो देने के खयाल से मैं कड़वा और बुरा लिखता हूं
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अवतार सिंह
जयपुर 8209040729