अनुरागी सौदागर

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

अपनों के हित हम बन जायें,

अनुरागी सौदागर,

सच्चे अर्थों में रिश्तों की,

भर जायेगी गागर।

बूँद बूँद मधुरस छलकेगा,

मेघ सुधारस जल बरसेगा,

नेह हृदय से फूट पड़ेगा,

बेला में नवपुष्प खिलेगा,

जीवन की रंगोली के रंग,

करें समर्पित सादर,

सच्चे अर्थों में रिश्तों की,

भर जायेगी गागर।

दुःख और दर्द विदा ले लेगें,

हर्षोल्लास द्वार खोलेगें,

दीप से जगमग आँगन होगा,

घर घर फिर वृन्दावन होगा,

रास करें कान्हा राधा संग,

होती प्रीत उजागर,

सच्चे अर्थों में रिश्तों की,

भर जायेगी गागर।

राम कभी वन न जायेगें,

दशरथ युग युग जी पायेगें,

सीता को न हरेगा रावण,

लखन उर्मि संग होंगे सावन,

जीवन की रामायण में फिर,

भरे प्रेम का सागर,

सच्चे अर्थों में रिश्तों की,

भर जायेगी गागर।

सीमा मिश्रा,बिन्दकी,फतेहपुर उ0प्र0