आसमाँ में एक चाँद

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 

चांद को शिकायत है

ईद का चांद हूँ या और हूँ

मैं पूनम का चांद हूँ

या रक्षाबंधन का चांद हूँ

करवा चौथ पर भी तो

मैं वहीं वाला चांद हूं

कभी मैं चमकता हूं

कभी छुप जाता कहीं हूँ

तुम चांद पर कभी लिखो

वर्णमाला नहीं बदलेगी

नहीं बदलेगा वह हाट

जहां से स्याही मिलेगी

पीली मिट्टी की सुगंध में

हजारो रंग के फूल खिलते हैं

मैं अकेला हूं तारों संग और

बिखेर देता हूं सब पर चांदनी

कोई इतराए भिन्न तिथियों पर

मैं हंसता हूं आनंद भर भर कर

मैं कभी छोटा कभी बड़ा

बतलाता हूं वक्त एक सा नहीं रहता

सब मिलकर एक रहें बतलाता हूँ

अनगिनत किरणेँ बिखराता हूं

कभी देखा है जमीं पर

किरणों को तुमने अलग-अलग

खेलते हुए बच्चे लुका छिपी

मन में प्रेम उल्लास ख़ुशी छिपी

नहीं देखते ईद का हूँ या

रक्षाबंधन होली करवा चौथ का

मैं बंट जाऊं ऐसा संभव नहीं

मानवता वही जो प्रेम भरी

भाये मन को एकता भारी

कितने नामों की लीला प्यारी

ईश्वर के भी कितने नाम हैं

फिर भी आसमां में एक चांद है

पूनम पाठक "बदायूँ "