भोले बाबा बड़े निराले
भांग धतूरा पीने वाले
कर त्रिशूल सर्पों की माला
गंग जटा में डमरू वाले
घोर तपस्या कर भस्मासुर
अमरत्व प्राप्त करने को आतुर
शिव बोले कुछ और मांग वर
कुटिल सयाना है भस्मासुर
सिर को छुअत भस्म हो भोले
तथास्तु कह शंकर मति डोले
खुद ही काल बुलावा भोले
शरणागति विष्णु की ले ले
विष्णु मोहिनी रूप धरो जब
भस्मासुर को मोह लियो तब
मोहिनी जाल में फसो राक्षस
खुद से खुद ही भस्म हुआ तब
कालों के तुम महाकाल हो
भक्तों के मन वरदानी हो
मृत्युलोक के देव तुम्ही हो
भोले भंडारी शंकर हो
लोटा भर जो जलहि चढ़ाते
निश्चित मनवांछित फल पाते
बेलपत्र को रोज चढ़ाते
जग में वे वैभव को पाते
आओ हम सब मिलकर बोलें
नमः शिवाय ओम् नमः शिवाय
हर हर महादेव हर हर भोले
नमः शिवाय ओम् नमः शिवाय
बच्चूलाल दीक्षित
दबोहा भिण्ड/ग्वालियर