आजमगढ़ : पवई विकासखंड के राजस्व गांव चकिया एवं अंडिका में शवदाह गृह निर्माण में जिम्मेदारों ने खूब खेल खेला। 2016-17 में शवदाह गृह के निर्माण के लिए ग्राम चकिया और अंडिका ग्राम में शासन द्वारा 24-24 लाख रुपये का आवंटन हुआ था, लेकिन जिम्मेदारों की उदासीनता से पांच वर्ष बाद भी नहीं बन सका।
जिस समय निर्माण शुरू हुआ उस समय ग्रामीणों में आस जगी कि शवदाह के लिए हमें दूर नहीं जाना पड़ेगा। अपने गांव में ही शवदाह की सुविधा आसानी से मिल जाएगी। इसके लिए शासन स्तर से गांव के किनारे से गुजर रही मंजूषा नदी के किनारे शवदाह गृह निर्माण के लिए शासन से धन अवमुक्त हुआ था। जहां स्नान गृह, विश्राम स्थल, टीन शेड, स्वच्छ जल मुहैया कराने के लिए नल एवं शवदाह स्थल पर इंटरलाकिग की व्यवस्था होनी थी। ग्राम चकिया में केवल पिलर खड़ा कर दिया गया और एक कमरा बनाकर 24 लाख रुपये खर्च दिखा कर इतिश्री कर दी गई। अंडिका गांव में 24 लाख रुपये एक कमरा और दो चबूतरा बनाकर छोड़ दिया गया। शवदाह गृह निरर्थक साबित हो रहा है, जिससे गांव के ग्राम वासियों को शवदाह के लिए दूर जाना पड़ता है। इससे समय और पैसे की बर्बादी होती है। जिले की अंतिम सीमा होने की वजह से उच्चाधिकारियों का यहां तक आना नहीं होता है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
पवई : खंड विकास अधिकारी ओमप्रकाश सिंह का कहना है कि यह हमारे समय का मामला नहीं है इसलिए कोई जानकारी नहीं है। वहीं एडीओ पंचायत पारसनाथ का कहना है कि यह कार्य मेरे कार्यकाल का नहीं है, मैं इसके बारे में कुछ नहीं बता सकता। ग्राम विकास अधिकारी का कहना है प्रधान ने काम नहीं कराया तो मैं क्या करूं।