इस तपतपाती धूप और 43 डिग्री के तापमान में मुबारकपुर निवासी 6 वर्षीय सनाया फातमा ने रखा पहला रोज़ा

                                         
 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

मुबारकपुर आजमगढ़। रमजान के महीने में छोटे बच्चे रोजा नहीं रखा करते। इस्लाम के मुताबिक, 7 साल से कम उम्र के बच्चोंक को रोज़ा नहीं रखने दिया जाता मगर घर वालों से जिद कर और नियम को तोड़ते हुए 6 साल की  सनाया फातमा ने अपना पहला रोज़ा पूरा किया

रमजान के  इस पाक महीने की ओर अपने माता-पिता का रुझान, जोश और आस्था देखते हुए बच्ची ने रोजा रखने की इच्छा जताई और रोज़ा रखा। सनाया फातमा ने कहा कि वह और भी रोजे रखना चाहती है ।

मगर घर वाले रखने नही देते। इतना ही नहीं, इस्लाम के नियमों को मानते हुए उसने पाक कुरआन की 'अरबी की तिलावत' भी पढ़ना शुरू कर दिया है। रमज़ान का महीना चल रहा है इस तपतपाती और लू वाली गर्मी तथा 43 डिग्री के तापमान में अल्लाह की रजा के लिए हर उम्र के लोग 14 से 15 घंटा भूखे प्यासे रह कर रमज़ान का रोज़ा रख रहे है I वही पर पुलिस चौकी पुरारानी मुबारकपूर निवासी शमीम अहमद की पोती मोहम्मद शहूद की लड़की सनाया फात्मा जो यू के जी मुबारकपूर पब्लिक स्कूल की छात्रा भी है ने अपना पहला रोजा पूरा किया। 

सनाया फातमा के दादा शमीम अहमद ने बताया, 'इस्लाम में 6 साल के बच्चे को रोजे रखने की इजाजत नहीं देता, लेकिन बच्चीम ने अपनी जिद और आस्था के चलते रोजा रखा। जब हमने उसे रोकना चाहा और कहा कि इस बार यह बेहद मुश्किल है क्योंकि रमजान गर्मियों में पड़ा है तो उसने कहा कि वह पूरा दिन कमरे में बैठी रहेगी लेकिन रोजा रखेगी।' 

यू के जी क्लास में पढ़ने वाली सनाया फातमा ने कुरआन पढना भी श्‍रू कर दिया है। रोजे के दिन जहां वयस्क लोग शाम होते-होते प्यास से तड़पने लगते हैं, सनाया फातमा पहले रोजे के दिन 14 घंटों तक बगैर खाने पीने के पडी रही। शाम 6:26 बजे तक इफ्तार तक उसने कुछ नहीं खाया मगरिब की अज़ान के बाद रोज़ा अफ्तार किया । पहले रोजे के लिए सनाया फातमा को ईदी के रूप में कैश, नए कपड़े और खिलौने मिले। आगे वह रोजे रखेगा या नहीं, यह पूछे जाने पर उसके माता-पिता ने कहा कि उसके लिए यह बेहद मुश्किल है लेकिन सनाया फातमा फिर भी रोजे रखना चाहती है।

हदीसे नबी के अनुसार 10 साल की उम्र में नमाज फर्ज हो जाती है और इस्लाम में कहा गया है कि जब बच्चा 7 साल का हो जाए तो नमाज़ अदा करने का हुक्म दो और जब 10 साल का हो जाए तो उन्हें ताकीद के साथ नमाज पढ़ाओ ऐ ईमान वालों तुम पर रोजे फर्ज़ किए गए हैं जिस तरह तुम से पहले लोगों पर फर्ज़ लिए गए थें ताकि तुम परहेजगार बनो।