माता की कोप रोष को,
श्रद्धा से सम्मान करे,
वही प्रभु राम हैं ।
शोक क्लेश वेदना को,
अरण्य सुहावना को,
सहल स्वीकार करे,
वही प्रभु राम हैं ।
असंख्य उर हिय को,
जनकसुता सिय को,
शिव कृत कृत करे,
वही प्रभु राम हैं ।
मृदु मसृण वाणी को,
मर्यादा अनुरक्ति को,
अंग में धारण करे,
वही प्रभु राम हैं ।
✍️ ज्योति कुमारी
रामगढ़ ,झारखण्ड