हे ! शम्भु, हे! भोले शंकर
औघड़-दानी महाकालेश्वर
कैलाश निवासी, हे! नंदीश्वर
गौरी पति हे! अर्द्धनारीश्वर
दर पर मैं तेरे आयी स्वामी
कष्ट हरो हे! शम्भु अंतर्यामी
हे! जगदीश्वर त्रिलोक के स्वामी
हे ! अखिलेश्वर, हे! नागेश्वर
मंथन से निकला जब हलाहल
त्राहि-त्राहि मची सकल जगत में
विषपान किया जग की रक्षा खातिर
नीलकंठ महादेव हैं अभयंकर
गंगाधर शीष पर गंगा को धारे
जग कल्याण को गंगा धरा उतारे
चंद्रमा मस्तक पर शोभित जिनके
चन्द्रमौलि हैं भोले शंकर महादेवा
शमी-विल्वपत्र , भाँग - धतूरा
गंगाजल से अभिषेक कराकर
श्रद्धा पुष्प चढ़ाऊँ आयी हूँ दर पर
मृत्युंजय हे! भोले बाबा शंकर
भक्तों के रखवाले शंकर अभयंकर
भवसागर से पार लगाते त्रिपुरारी
शक्ति-भक्ति का वर देना हे! शंकर
अपनी शरण में ले लेना भोले-शंकर
अनुराधा प्रियदर्शिनी
प्रयागराज उत्तर प्रदेश