बांदा। बुन्देलखण्ड की विशिष्ट जलवायु के परिप्रेक्ष्य में लघु एवं सीमान्त कृषकों के आय में वृद्धि तभी सम्भव है जब उन्नत प्रजाति के गुणवत्तायुक्त बीजों एवं संसाधन संरक्षण की तकनीकों का प्रयोग किया जाये। बाँदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बाँदा के बहुउद्देशीय सभागार में भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान, कानपुर के सहयोग से भारत सरकार की अनुसूचित-उपयोजनान्तर्गत जनपद बाँदा के पाँच विकासखण्डों के 8 गांवों से चयनित 125 लाभार्थी कृषकों को सम्बोधित करते हुये विश्वविद्यालय के मा0 कुलपति जी ने कहा कि बुन्देलखण्ड क्षेत्र में असीम सम्भावनायें छुपी हुयी है तथा विश्वविद्यालय, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के संस्थानों के सहयोग से क्षेत्रानुकुल तकनीकों के व्यापक प्रचार हेतु प्रतिबद्ध है। वहीं कुलपति जी ने कृषकों से समग्र कृषि की ओर आगे आने की बात कही जिससे की जल, जमीन, जानवर एवं जंगल का संरक्षण एवं सहस्तित्व बना रहे। उन्होने बुन्देलखण्ड की कृषि उपजों एवं अन्य पारम्परिक एवं ऐतिहासिक फसलों, तकनीकों एवं स्थलों को राष्ट्रीय पहचान एवं मान्यता दिलाये जाने पर कार्य करने पर जोर दिया तथा विश्वविद्यालय में एक राष्ट्रीय बौद्धिक विमर्श आयोजित करने तथा उसमें सम्पूर्ण राष्ट्र से लब्ध, प्रतिष्ठित चिन्तकों को बुलाकर उनसे बुन्देलखण्ड क्षेत्र के लिये आदर्श परियोजना विकसित करने की बात कही जोकि न केवल कृषि एवं कृषि आधारित उद्यमों के सतत् विकास में सक्षम हो अपितु राष्ट्र के अन्य क्षेत्रों के लिये प्रेरणादायी बन सके।
बीज वितरण कार्यक्रम के अवसर पर विश्वविद्यालय के निदेशक प्रसार डा0 एन0 के0 बाजपेयी ने कहा कि बुन्देलखण्ड के कृषकों में मेहनत करने की जिजीविशा है तथा तकनीकों कों सीखनें की इच्छाशक्ति है। प्रसार निदेशालय इस दिशा में सक्रिय भूमिका अदा कर रहा है तथा बुन्देलखण्ड में अवस्थित सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से वृहद स्तर पर चयनित फसलों की नवीनतम प्रजातियों का बीजोत्पादन कार्यक्रम सीड हब परियोजना के माध्यम से किसानों के साथ मिलकर संचालित किया जा रहा है। वहीं शासन की मंशा के अनुरूप कृषकों के विकास हेतु योजनायें चलायी जा रही है।
निदेशक बीज एवं प्रक्षेत्र, डा0 मुकुल कुमार ने विश्वविद्यालय में प्रजातियों के विकास तथा बीज उत्पादन की कार्ययोजना पर प्रकाश डालते हुये कृषकों से उन्नत प्रजाति के बीजों के प्रयोग का आवाहन किया। साथ ही साथ बीज के संरक्षण तथा आपस में वितरण करने की सलाह दी। सह निदेशक प्रसार, डा0 नरेन्द्र सिंह ने कृषि में बीज के महत्व पर प्रकाश डालते हुये कहा कि बीजों का समुचित प्रयोग कृषि की उत्पादकता वृद्धि हेतु आवश्यक है, वहीं उन्होने कृषि विज्ञान केन्द्र बाँदा के सतत् प्रयास की सराहना करते हुये वैज्ञानिको से कृषकों के सतत् संवाद एवं परस्पर मेल मिलाप पर जोर दिया।
डा0 सत्यव्रत द्विवेदी, अधिष्ठाता, उद्यान ने कृषकों से उद्यानिकी के क्षेत्र में क्षेत्रफल बढ़ाने की बात कही। विशेष तौर पर नदियों के किनारे स्थित सिंचित खेतों में कद्दूवर्गीय, परवल की उन्नत खेती तथा खरीफ प्याज एवं लहसुन की खेती कृषकों के लिये लाभप्रद है। वहीं उष्णक्षेत्र बागवानी के वैज्ञानिक पहलुओं पर भी महाविद्यालय द्वारा कार्य किया जा रहा है जिससे भविष्य में फलों और सब्जियों की पौध तथा बीज कृषकों को उपलब्ध कराये जायेंगे। कार्यक्रम का संचालन कृषि विज्ञान केन्द्र के अध्यक्ष डा0 श्याम सिंह ने करते हुये कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा संचालित विभिन्न गतिविधियों को अपनाने का आग्रह किया। वहीं मंचासीन गणमान्य अतिथियों तथा प्रतिभागी कृषकों, युवाओं एवं कृषक महिलाओं के प्रति धन्यवाद ज्ञापन, सह निदेशक प्रसार, डा0 आनन्द सिंह ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में डा0 मंजुल पाण्डेय, डा0 मानवेन्द्र सिंह,घनश्याम यादव, ज्योतिरादित्य सिंह व हिमान्शु दक्ष ने विशेष सहयोग दिया।