दीपोत्सव

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 

रजनी रथ पर होकर सवार,

आया दीपोत्सव का त्योहार।

दीपों से जगमग हुई अमावस की रात,

पुष्प माला से सजा घर द्वार।

मिट्टी की मूर्ति,खिलौनों से भरा बाज़ार,

माटी का दीपक, बना कुम्हार का व्यापार।

नवीन दुकूल में सुसज्जित लक्ष्मी गणेश,

पूजन कर पायें हम धन-धान्य व शुद्ध विचार।

अन्तःतम हो दूर, सात्विक रहे आचार,

ईर्ष्या द्वेष भूलकर, भाईचारा बने आधार।

करें बहिष्कार विदेशी झालरों का ,

स्वदेशी दीपक से जगमगाये संसार।

                   रीमा सिन्हा

              लखनऊ-उत्तर प्रदेश