तेरे मेरे प्यार का
ये कैसा इम्तेहान है
जब से लगा दिल
फंसी आफत में जान है
ओ मेरे सनम,तू ले ले कसम
निभाऊंगी साथ जनम-जनम
मत सोच कुछ और तुम
तेरा सोचना बेकार है
मेरे दिल पे सिर्फ तेरा अख्तियार है
कद्र करती हूं मैं तेरा
अपनी जान से बढ़कर
पता चला अब, तू कैसा इंसान है
जब से लगा दिल
फंसी आफत में जान है
मेरे बेचैन दिल में भरा
चाहत का कैसा तूने रंग
जानू दूंगा मैं भी तेरा साथ
छाये की तरह चिपका रहूंगा तेरे संग
काट रहा पल जिंदगी के तेरे भरोसे
बसी हो मेरे दिल में गोशे-गोशे
तू है तो जिंदा है मेरी ख्वाहिशें
मेरे रग-रग में समाई
तू ही इमान,तू ही मेरी शान है
जब से लगा दिल
मेरी धड़कनों की जान है
तेरे मेरे प्यार का
ये कैसा इम्तेहान है
जब से लगा दिल
फंसी आफत में जान है
जब से लगा दिल
तू ही मेरी पहचान है
तू अभी बहुत ही नादान है
राजेंद्र कुमार सिंह
ईमेल: rajendrakumarsingh4@gmail.com