सज गई अवध दुल्हन सी
ह्रदय में उत्साह छाया है
भाई लखन आए और
राम सिया का जोड़ा आया है
खुश हो रहे हैं नगर निवासी
खुशियों का माहौल आया है
आओ मिल कर सब दीप जला लें
दीपों का उत्सव दिवाली आया है
हर चेहरे पर मुस्कान भरी है
दिल खुशियों से खिल उठा है
भरत भाई भी बहुत खुश हैं
छोटे भाई का फर्ज निभाया है
हो गई है खुश वो उर्मिला भी
जिसने महलों में वनवास पाया है
ख़ुश हैं माताएँ सारी
माताओं ने गले लगाया है
राम सिया लखन खुश बड़े हैं
आज वे अयोध्या में खड़े हैं
मिट गया सारा अँधियारा है
अंधियारा उजियारे से ही हारा है
कोई नाचे और कोई गाये
किसी ने जयकारा लगाया है
आ गई है राजतिलक की बारी
अयोध्या में उत्सव सा छाया है
सज गई अवध दुल्हन सी
ह्रदय में उत्साह छाया है
रितु शर्मा
दिल्ली