चाँद यही सोचता

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 

जब भी कोई त्यौहार आता है

तो चांद बहुत ही हंसता है

ईद पर चांद देखा जाता है

और गले मिला जाता है

पर चांद क्या करे

मन ही मन मुस्कुराता है

कभी पूर्णिमा पर पूजा जाता है

अक्षत संग जल चढ़ाया जाता है

कोई चांद देखता है और

तारीखों का हिसाब लगाता है

कोई कहता है कि

चांद आँखों की रोशनी बढ़ाता है

त्योहार करवा चौथ आता है

चांद अपना नया ही रूप लेकर आता है

पति पूजनीय चाँद बताता है

और तो पति से भी व्रत रखवाता है

चांद धरती को रोशन करता है

मन में हर्ष और उल्लास भर देता है

भले ही चांद को न मिले

कभी भी कपड़े अपनी मां से

शिकायत ही करता रहा हमेशा

परेशान होता रहता है

फिर भी मुस्कुराता रहता है

कि वह आसमान में रहता है

कभी बादलों में छुप जाता है

चाँद यही सोचता है

अगर वह जमीन पर होता

तो सोचो क्या होता

चांद के लिए भी लड़ जाते लोग

क्या चांद को हँसने देते लोग

रितु शर्मा

दिल्ली