----- तीखा तीर -----

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क  

धन  घमंड  गर्जत  फिरें 

कर  बसुल  चबाय 

ऐसी  कर प्रडाली बनी 

उद्योग गये  बिलाय 

मंहगाई  अंटा  चढी

निर्धन  रहे  चिल्लाय 

-----  वीरेन्द्र  तोमर