युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
प्रेम प्रतीक्षा की मधु रातें,
स्नेह की वृहद मर्म अनुभूति,विरह की व्याकुल सी आघाते,
कल्पना का मधुर मिलन है।
स्मृतियों का आलिंगन है,
स्नेह सरोवर की आंच में।
मधु सिक्त हुआ यह अंतर्मन है,
फिर स्मृति हो आई मुझको।
तेरी वह बचकानी बातें,
प्रेम प्रतीक्षा की मधु रातें।
वह मधुरीम रजनी का आंगन,
शरद शशि का स्वर्णिम यौवन।
छम छम चलती नूपुर बांधकर,
महकाती पुरवा जब उपवन।
कैसे कटती थी नैनों में,
रजतमय चांदनी। रातें,
प्रेम प्रतीक्षा की मधु रातें।
चंद्रिका का नर्म अच्छादन,
मह मह महके वन में चंदन।
रजनी गंधा बनकर महके,
तेरी सुगंधी से ये तन मन।
तू नीरद में हूं वसुधा सी,
कोमल मखमल सी। बरसाते,
प्रेम प्रतीक्षा की मधु रातें।
कामिनी मिश्रा