युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
घरनी के हाथों पकी, रोटी है सुर भोग।
रुचिकर हो घी में पगी, तूप रहित नीरोग।।
तूप रहित नीरोग, स्वामि सुधि में घरवाली।
प्रिय से मिलन सँजोग, इंदुमुख शोभे लाली।।
रोटी स्नेहाधार, खुशी में झूमे सजनी।
याद कंंत मनुहार,भरत कुल की है घरनी।।
मीरा भारती।