मां का तोहफ़ा

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

दुआओं के गहने साथ लिए,

बिटिया आज तू हुई परायी,

तोहफें मे तुझे दी है सिलाई मशीन,

इसके साथ जुड़ी है मेरे जीवन की यादें हसीन,

मेरा अनुभव सांझा कर रही हूं,

बिटिया ससुराल जाने से पहले तुझे कुछ कह रही हूं,

मुझे जो संस्कार मेरी मां से मिले ये विरासत है मेरी,

उन संस्कारों को तुझे आज भेंट कर रही हूं,

परिवार में अलग-अलग स्वभाव के सभी लोग होते हैं,

खट्टे-मीठे, कुछ नमकीन, तीखे, तो कुछ कसैले भी होते हैं,

इन रिश्तों को प्रेम के धागे से जोड़ के रखना,

कैंची की तरह जबान को कभी मत चलाना,

अपितु इंची टेप की तरह नापतोल कर वाणी को नियंत्रित और मिठास भरी रखना,

बोबिन केस के धागे की तरह सबको पीछे से सहयोग करना,

तेरा नाम हो इसकी चाह ना रखना,

उदास मन हो कोई कभी तो, झटपट रफ्फु कर देना,

कलाकारी से अपनी सकारात्मकता का सृजन कर,

सभी रंग बिरंगे सदस्यों को एकजुट कर,

बेहतरीन नक्काशी से तेरे परिवार की सुंदर तस्वीर उकेरना,

बच्चों में अच्छे संस्कारों की कढ़ाई गढ़ना,

ये कोरे कपड़े हैं इन पर प्रतिभाओं की नई तुरपन करना,

छोटी-छोटी बचतों को कतरनों के जैसे सहेज कर रखना,

भावनाओं में मत बह जाना समय-समय पर ज्ञान का तेल भी डालते रहना,

जीवन गाड़ी को अकेले ही नहीं दौड़ना,

अपने पति के साथ-साथ गाड़ी के पहिए को सदैव घूमाना,

प्रभु की प्रार्थनाओं के स्टैंड पर समर्पित हो अपने जीवन को संचालित करना,

बिटिया मेरी यह सीख सदैव याद रखना ।

 मोनिका डागा  "आनंद" , चेन्नई