युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
जंगल कटत हसदेव के, दुख आज अड़बड़ होत हे।
सरकार ऑंखी मूॅंद के, का बेच घोड़ा सोत हे।।
छत्तीसगढ़ हा स्वर्ग कस, हे राज्य भारत देश के।
एला उजाड़व झन मनुज ,पालन करव संदेश के।।
जाही कहाॅं सब जानवर, ए बात ला तो सोच लव।
अपने करम ला हाथ मा, अतलंग कर मत नोच दव।।
आही सबो भटकत अगर, जब जानवर मन गाॅंव मा।
तब भागहू कति बाॅंच के, जब जान लगही दाॅंव मा।।
झन स्वार्थ मा ॲंधरा बनव, सब ला जियन दव शान ले।
सब जानवर के घर हरय, जंगल मनुज ये मान ले।।
नादान के विनती हवय, शासन घलो अब लेव सुध।
भगवान अरजी मोर हे,अब तो मनुज ला आय बुध।।
(पूर्णतः मौलिक रचना)
रचनाकार
तुषार शर्मा "नादान"
राजिम
जिला - गरियाबंद
छत्तीसगढ़
tusharsharmanadan@gmail.com