युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
कभी-कभी
ऐसा भी महसूस होता है कि
हम दोनों ही
एक-दूसरे के सूरज हैं,,
और,,सूरजमुखी भी ,
एक-दूसरे की प्रतीक्षाओं में हमें
बार-बार खिलना भी पड़ेगा,,
मुरझाना भी ,
लेकिन
इसके लिए इतना तो जरूरी है
कि मेरे पास बची रहे
थोड़ी सी पीलिमा,,
और तुम्हारे पास,, ज़रा सी ऊष्मा ,
इतना तो करना ही होगा कि
व्यर्थ न रहें
सूरजमुखी की परिक्रमाएं,,,
बोलो, करोगे न,,, !!
नमिता गुप्ता "मनसी"
मेरठ, उत्तर प्रदेश