अब अवध खिला है

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 

जगमग जगमग दीप जलें मन चैन मिला है

चौदह बरस में आए राम अब अवध खिला है 

इंतजार में बैठा केवट लेकर नाव किनारे

चौदह बरस पूर्ण जो होइहैं अइहै प्रभू हमारे

संग साथ हैं सीता माता पीछे लखन चला है 

चौदह बरस में आए राम अब अवध खिला है 

भरत लिए हैं राम खड़ाऊं सिर पर सदा धरें हैं

राम ही राम पुकारत भैया अजहूं नहीं थके हैं

राजपाट रख करें खड़ाऊं भरत सा भ्रात भला है।

चौदह बरस में आए राम अब अवध खिला है ।

चौदह बरस से दियना बारे उर्मिल आस लगाए

त्याग की मूरत सती सतपथी है विश्वास जगाएं

लखन लाल के दास भाव की मन में एक कला है 

चौदह बरस में आए राम अब अवध खिला है 

राजा दशरथ पुत्र वियोग में तड़प गये परलोक 

अवध नगर में मात कौशल्या दुखी मनावे शोक

राह में पुष्प बिछावत माता अइहैं राम लला है

चौदह बरस में आए राम अब अवध खिला है।

जगमग जगमग दीप जलें मन चैन मिला है

चौदह बरस में आए राम अब अवध खिला है।


डॉ0 अलका गुप्ता 'प्रियदर्शिनी'

लखनऊ उत्तर प्रदेश