शैल छन्द (वर्णिक)

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क


      दया वेदवाणी , दया  'धी' सुहान। 

      दया तंत्र ऊष्मा, दया अष्ट-मान।

      दया श्रेयसी  लोकसेवा  सजीव-

      उसी में,  अवामी   रहें  एकतान। 


      तकें  देश पीडा, रहें  निर्विकार। 

     न ऐसे जनों  से धरा कान्ति सार। 

      अ-माया दया को रखे अर्चमान-

      दया  जो नहीं, देह ढाँचा  उधार।


मीरा  भारती,

पटना,बिहार।