युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
Kalashtami 2023: हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। इस प्रकार, आश्विन माह में कालाष्टमी 06 अक्टूबर को है। इस दिन जितिया और मासिक कृष्ण जन्माष्टमी भी है। अतः आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का विशेष महत्व है। कालाष्टमी तिथि पर काल भैरव देव की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है।
ज्योतिषियों की मानें तो आश्विन माह की कालाष्टमी तिथि पर दुर्लभ 'शिव' का निर्माण हो रहा है। साथ ही कई अन्य शुभ योग भी कालाष्टमी पर बन रहे हैं। इस दौरान शिव जी की पूजा करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। आइए, कालाष्टमी पर बनने वाले योग और पंचांग के बारे में जानते हैं-
शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, आश्विन माह की अष्टमी तिथि 06 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 34 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 07 अक्टूबर को सुबह 08 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगी। साधक अपनी सुविधानुसार समय पर काल भैरव देव की पूजा कर सकते हैं।
सर्वार्थ सिद्धि योग
कालाष्टमी तिथि पर सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। इस योग का निर्माण संध्याकाल 09 बजकर 32 मिनट से लेकर अगले दिन सुबह 06 बजकर 17 मिनट तक है। काल भैरव देव की पूजा निशा काल में की जाती है। अत: सर्वार्थ सिद्धि योग में काल भैरव देव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।
शिव योग
कालाष्टमी पर दुर्लभ शिव योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में भगवान शिव की पूजा करने से व्रती को अमोघ फल की प्राप्ति होती है। शिव योग का निर्माण दिन भर है। अतः साधक किसी समय अपने आराध्य भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं। हालांकि, निशा काल में काल भैरव देव की पूजा करना विशेष फलदायी होता है।
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 16 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 02 मिनट पर
पंचांग
ब्रह्म मुहूर्त - 04 बजकर 39 मिनट से 05 बजकर 27 मिनट तक
अमृत काल - सुबह 10 बजकर 45 मिनट से दोपहर 12 बजकर 28 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त - 11 बजकर 44 मिनट से 12 बजकर 30 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 07 मिनट से 02 बजकर 54 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 02 मिनट से 06 बजकर 26 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 46 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट तक
अशुभ समय
राहुकाल - सुबह 10 बजकर 41 मिनट से 09 बजकर 12 मिनट तक
गुलिक काल - दोपहर 01 बजकर 39 मिनट से दोपहर 12 बजकर 09 मिनट तक
दिशा शूल - पश्चिम