अँधेरे पर भारी अब उजाला होना चाहिए

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क 


यु प्यार से मिलना और मिलाना चाहिए

कतरा-कतरा मिल के समंदर बन चाहिए

बहुत अंधेरा छा गया है जीवन में दोस्तों

अँधेरे पर भारी अब उजाला होना चाहिए


कहने को तो अब सब कुछ है जीवन में

पर सुकून का कोई पल नहीं है जहन में

अहसासों में सुकून का ठिकाना चाहिए

अँधेरे पर भारी अब उजाला होना चाहिए


कब तक चलेगी नियति से लड़ाई हमारी

प्रतिपल बदलती जैसे लगती हो बीमारी

खुशियों का हाल भी बदला होना चाहिए

अँधेरे पर भारी अब उजाला होना चाहिए


हर कोई मुक़ददर से लड़ नहीं सकता

तकदीर का लिखा बदल नहीं सकता

तकदीर बदले ऐसे तदबीर होना चाहिए

अँधेरे पर भारी अब उजाला होना चाहिए


होने को तो सब हो सकती मुक़म्मल

सत्य पर करता नहीं कोई अब अमल

असत्य पर सत्य की जीत होनी चाहिए

अँधेरे पर भारी अब उजाला होना चाहिए


रचनाकार

प्रमेशदीप मानिकपुरी

आमाचानी धमतरी छ.ग.

9907126431