युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
सहारनपुर। श्रीमद् भागवत जी के विराम दिवस समय पर व्यास जी पूज्य श्री दीपकजी महाराज के द्वारा श्रद्धालुओं को बताया गया कि गृहस्थ जीवन कैसा होना चाहिए। उन्होंने बताया कि श्री कृष्ण भगवान का इतना बड़ा परिवार है जितना शायद आज के समय में किसी का भी नहीं होगा फिर भी वह सब मिलजुल कर आपस में प्रेम भाव के साथ रहते हैं और दूसरे परिवारों को एक अच्छी सीख देते हैं। यदि परिवार में एक दूसरे के प्रति प्रेम हो, आपस में एकता हो, तो उस परिवार का समाज में बल बढ़ता है ।
जैसे एक लकड़ी को तोड़ना आसान होता है वही लकड़ी का एक गुच्छा इकट्ठा बंधा हुआ हो उसे तोड़ना उतना ही मुश्किल होता है। इसीलिए हमें परिवार में एक दूसरे की भावनाओं को महत्वता देते हुए अहम को खत्म करते हुए परिवार में सभी के साथ प्रेम भाव रखना चाहिए इसके बाद सुदामा चरित्र के माध्यम से महाराज जी ने बताया
कि मित्रता कैसी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मित्रता में किसी प्रकार का लालच, ईर्षा भाव नहीं होना चाहिए। एक मित्र को सदैव अपने दूसरे मित्र को सदमार्ग पर ले जाना चाहिए।
अगर आपका मित्र दुष्मार्ग की तरफ बढ़ रहा हो तो उसका हाथ पकड़ कर उसे रोकना चाहिए उसका मार्गदर्शन करना चाहिए। मित्र को बताना चाहिए कि सही क्या है और क्या गलत है। मित्र ऐसा होना चाहिए जो हर मुसीबत हर तकलीफ हर परेशानी में अपने मित्र के साथ खड़ा रहे। जीवन में कैसी भी परिस्थितिया हो, वह अपने मित्र का साथ कभी ना छोड़े।
मित्रों को सदैव एक दूसरे की उन्नति की कामना करनी चाहिए। मन में किसी प्रकार की ईर्षा या विष भरा नहीं होना चाहिए उन्होंने कहा कि केवल परमपिता परमात्मा ही हैं जो अनंत तक आपका साथ निभाएंगे। धोबी घाट के पास स्थित जवाहर पार्क में इस कथा कार्यक्रम का आयोजन हरि सिंह ठाकुर और प्रतिभा ठाकुर ने कराया। व्यवस्थाऐं मयंक ठाकुर, श्रुति ठाकुर, वैभव ठाकुर और रचना ठाकुर ने देखी। सात दिन की कथा में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने शामिल होकर धर्म लाभ उठाया। कथा की शुरुआत भव्य कलश यात्रा के साथ हुई थी और कथा को विराम विशाल भंडारे के साथ दिया गया।