भोले का मन भोला

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क


भोले में मन रमा रहेगा,

खुशियां पल-पल आएंगी,

जीवन की हर नई डगर में,

भोले का संग पाएंगी।

भोले में मन ....

भोले का मन इतना भोला,

जीवन में रस घोला है,

देख छवि भोले की इत-उत,,

मन झूले-सा झूला है।

भोले में मन...…

साथ मिला श्वांसों का भोले,

उर चंदन हो जाता है,

कंठ से जब-जब भोले निकले,

सब पावन हो जाता है।

भोले में मन ......

मन के घाट पर भोले मेरे,

गंगा-से लहराते हैं,

नज़रें झुकी हुई चरणों में,

भोले फिर मुस्काते हैं।

भोले में मन .......

आओ हम सारे जन मिलकर,

भोले का गुणगान करें,

धरा बने भोले की नगरी ,

ऐसा हम आह्वान करें।

भोले में मन ......

(127वां मनका)


कार्तिकेय कुमार त्रिपाठी 'राम'

सी स्पेशल,गांधीनगर, इन्दौर