सखी गए कहाँ ये, मोहन प्यारे
विराजमान हैं हम सब के अंतःकरण में
मन मे विराजमान हैं, लीला सपनो में दिखाते !!
मोहन की प्यारी लागे मधुर मूर्तिया
दिख गयी मुझे तेरी प्यारी सुरतिया !!
झाँक लिया मन मे , वो मूरत दिखी
कृष्ण कन्हैया, मेरे नैनो में समाए
जब नींद नही आई, सपनो में आये
रास रचाई और बांसुरी बजाई !!
सुबह सवेरे माखन मिश्री खाये,
दर्शन दे गए मेरे कुँवर कन्हैय्या !!
प्रीत तेरी निराली है कृष्ण कन्हैय्या
बस गए मन मे कृष्ण कन्हैय्या !!
स्वरचित
भगवती सक्सेना गौड़
बैंगलोर