मान तिरंगा है,शान तिरंगा, सबका है सम्मान |
है पावन गंगा , मन सतरंगा,वीरो का अभिमान ||
ये सबसे प्यारा, देश हमारा, सुन्दर गौरव गान|
है सबसे आगे, हम सब जागे, देश हमारी आन ||
वो जान लुटाते,खुशियाँ पाते,करे देश से प्यार|
कर हाथ तिरंगा, पावन गंगा,करते बहुत दुलार ||
है माटी चंदन, करते वंदन, लगा तिरंगा द्वार |
अब घर -घर फहरे, झंडा लहरे, देना मन उपहार ||
पावन ये धरती, दुनियाँ कहती, करते सब सम्मान |
बजती शहनाई,करती आई,बिस्मिल्ला की तान ||
सुन गौरव गाथा, टिकता माथा, सैनिक परम महान |
है आन तिरंगा, यमुना गंगा, भारत ही पहचान ||
ये धरती माता, सबकी दाता, अनन्त है उपकार |
हम इसके रक्षक, मारे मक्षक, इस पर सब बलिहार ||
मिलजुल कर रहना, कभी न डरना, जन -गण -मन हो गान |
हो अमर तिरंगा, पूजो गंगा, भारत देश महान ||
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कवयित्री
कल्पना भदौरिया "स्वप्निल "
लखनऊ
उत्तरप्रदेश