मिलती हमको वाह, कार्य करें जब नेक हम |
मंजिल की जब चाह,कठिन कार्य लगता सुगम ||
सुनकर आपका नाम,वाह -वाह करते सभी |
श्रेष्ठ किया जो काम,बहुत बड़ी यह बात है||
सुंदर लगता गीत,वाह -वाह क्या बात है |
मिल जाये मन मीत ,जीवन के संघर्ष में ||
मिले नयी जब राह,आगे बढ़ते हैं कदम |
करती दुनिया वाह,देख सभी अब दंग हैं ||
आती मन में बात, वाह मजा क्या जिंदगी |
मिली नयी सौगात, बिना कलम के तुम लिखो ||
मिलती सच्ची राह,करते श्रम है जो सदा |
निकले उर से वाह, सतजन कहते है यही ||
करना उत्तम काम,सच्ची वाह तब मिलती |
होगा जग में नाम, अमर सदा बनकर रहे ||
रखना मत मन चाह,काम ह्रदय से कीजिये |
मुख से निकले वाह,मिल जाती सब राह हैं ||
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कल्पना भदौरिया "स्वप्निल "
लखनऊ
उत्तरप्रदेश