होता राजा हैं वही,जिसको आता काज हो |
सारी सुखमय हो प्रजा ,चलता जिनका राज हो ||
राजा मन से जानिए, करना प्यारे काम है |
जनता पूजे राज को, भजन करे निष्काम है ||
भला करे जो देश का, बोली बोले प्रेम से |
अपने सुख को त्याग कर, काम करे नित नेम से ||
राजा बनना है कठिन,करना पड़ता त्याग है |
अलख जगाता धर्म का, जनता जागे भाग है ||
खुद के दुख को भूल कर, करता जनकल्याण है |
कर्म श्रेष्ठ हो विश्व में,मिले तब परित्राण है||
कर्मठ करते राज है, बने आलसी दीन है|
मनसा वाचा कर्मणा, यही सुधारे तीन है ||
सबसे पहले हो प्रजा, देखे तब परिवार है |
सबके सुख में खो गए,भूल गए घर द्वार है ||
राजा करता न्याय जब, होता देव समान है |
पक्षपात को भूलकर, जाने सच का भान है ||
हँसी ठिठोली जोर से, करे प्रेम से बात है |
तभी सुखी वो राज्य है, राजा जागे रात है ||
सच्चा राजा है वही, देता सच का साथ है |
होती जय -जयकार है,रखे दीन पर हाथ है ||
राजा जाने धर्म ये, प्रजा रहे सुख चैन से |
खुशियाँ फैले राज्य में,नहीं अश्रु हो नैन में ||
जैसे जिसके कर्म हो, बनता राजा रंक है |
कर्मठ करता राज्य है, सुस्त गिरे सब पंक है ||
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कवयित्री
कल्पना भदौरिया "स्वप्निल "
लखनऊ
उत्तरप्रदेश