हमारा रिश्ता

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क   


रूह से जुड़ा हमारा रिश्ता इस कदर,

भूल बैठी मैं ज़माने को जिस कदर।


आईना भी तेरी सूरत दिखाता है,

खुद से रहने लगी हूँ अब बेख़बर।


यूँ तो दूरियां बहुत हैं हमारे दरम्यां,

पर यादों में हर पल है तेरा बसर।


शायद तेरे लिए इक मोहरा हूँ मैं,

मेरे लिए तू मेरा जान-ए-जिगर।


गुजर जायेगी ताउम्र अब रीमा,

मोहब्बत में मेरे है इतना सबर।


          रीमा सिन्हा (लखनऊ)