मांँ शब्द में तो भरा,
ममता का सुंदर सार।
देवी देवता भी तरसे,
लेने कोख अवतार।
बिन मां के कहांँ संतति
शून्य है सारा संसार।
जन्म देती पोषण करती,
जीवन के सारे संबल देती।
बिन मां के ना जीव जंतु,
संसार चलाना है असंभव।
संसार चलाने के खातिर,
विधाता ने है मां को रचा।
कोख चाहिए सबको मां की,
चाहे दनुज मनुज या वन्य।
कल्पना क्या तुम कर सकते,
इस सकल संसार की।
मानो या ना तुम मानो,
सृष्टि का सकल आधार ।
मां बहन बेटियों से,
देखो है जीवन में प्यार।
मातृशक्ति पर देखो,
गर्व करना तुम तो सीखो।
हर कदम पर साथ तुम्हारा देती,
ममता से जीवन भर देती।
सीता ,सावित्री ,गार्गी,
मैत्रयी ,अनसूया को देखो।
राधा ,रुकमणी ,मीरा,
सब में सकल मातृत्व देखो।
नारी बिन है जग निराधार,
नारी है सृष्टि का सार।
बिन नारी तुम कैसे चलोगे,
भ्रूण हत्या फिर तुम ना करोगे।।
रचनाकार ✍️
मधु अरोरा