अनुयायी हर्षित मन से गुरुचरणों
की रज का तिलक शीश पर धरे !
चमकते सितारों में चांद हो तुम,
महकती फ़िजाओं की महक हैं,
मकरंद सी सुरभि, आप बाखूबी
आगे बढ़ते रहें, हम देखें, तुम भी,
सफलताऐं, राग-रागिनी गाऐं, हर
परचम ढोल बजाऐं, गुरू पूर्णिमा
हर्षित, पुलकित करें घर, आंगन,
ऐ सखी चलो गुरु पुर्णिमा मनाऐं,
गुरु पुर्णिमा मनाऐं, मंगल गाऐं,
ऐ सखी बधाई वंदन गाऐं, अपने
गुरुजनों का अभिनंदन गाऐं, करें
गुरू चरणों में शीश नमाऐं, सखी
जुगजुग जीने का आशीर्वाद पाऐं,
वंदनवार संजें, गुरूकुटियां में सब
अनुयायी हर्षित मन से गुरुचरणों
की रज का तिलक शीश पर धरे !
- मदन वर्मा " माणिक " इंदौर