यह दुनिया रंग बिरंगी है
कहीं प्यार दिखे आंगन मे,
कहीं विरह की माया है।
अलग अलग है रंग यहांँ,
यह दुनिया तो सतरंगी है।
विविधता में अनेकता देखो,
भाईचारे की भाषा देखो।
कहीं मिल कर बैठे हैं सारे,
कहीं लड़ाई का व्यवहार देखो।
कभी विनाशकारी है लगता,
कभी सृजन सुंदर है करता।
पंच तत्वों से बना शरीर,
आवागमन के चक्र में फंसता।
दुनिया में बनाने वाला ईश्वर,
छवि बडीअनूप है जगदीश्वर।
तेरे मेरे हृदय में बसता,
यह दुनिया तो सतरंगी है।
अजब देखो उसकी लीला,
गर्त में छिपे हैं हीरे मोती।
वैभव का अनमोल खजाना,
कहीं कोयले की खदान होती।
बादलों से रिमझिम जल बरसे,
कहीं कोई एक बूंद को तरसे।
किसी को भरपेट मिला भोजन,
कोई एक दाने को तरसे ।
ईश्वर ने निर्माण किया सृष्टि का,
सब का हिसाब वहीं है रखता।
पता नहीं कैसे हैं सबको,
वक्त वक्त पर है देता।
यह दुनिया रंग बिरंगी ,
सुंदर पेड़ पौधों से सजी।
कहीं हिम से आच्छादित है,
कहीं मरुस्थल है देखो।
वंदन है उन ईश चरणों में,
जिसने यह संसार रचा।
भांति भांति के रंग मिलाकर,
सबका है निर्माण करा।।
रचनाकार ✍️
मधु अरोरा