खिलादो दो जून की रोटी,
पिलादो मानसून का पानी,
लादो गुड़गुड़ धानी, गिरा दो पानी,
घूमघूम कर तुम आओ बादलों,
धूमधाम तुम मचा दो पागलों,
मस्ती में तुम छाओ बादलों,
खूब शोर तुम मचाओ बादलों,
हर्गिज देर ना लगाना, ओओ ओ ओ,
रे मानसून समय पर आ जाना !
पानी गिराना तुमरा फर्ज हैं,
पानी पाना हमरा हक हैं,
भई, अब तुम देर ना लगाना,
रे मानसून समय पर आ जाना,
खिलादो दो जून की रोटी,
पिलादो मानसून का पानी,
लादो गुड़गुड़ धानी, गिरा दो पानी,
घूमघूम कर तुम आओ बादलों,
धूमधाम तुम मचा दो पागलों,
मस्ती में तुम छाओ बादलों,
खूब शोर तुम मचाओ बादलों,
रे मानसून समय पर आ जाना !
- नेहा ठाकुर " नेह "
इंदौर, मध्यप्रदेश