"जो तुम मुझे भूल गया..."

 युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क


तुमसे भूल हुआ...........! 

जो तुम मुझे भूल गया...!!


सुनो आज फिर तुम मेरे ख्यालों में आए 

दिल में फिर वही ज़ख्म पुराने आए

मगर तुम पहले की तरह नहीं थे

घमंड अहंकार से भरे नहीं थे

तुम लाचार पश्चाताप में डूबे थे 

अपने गुनाह पर शर्मिंदा से थे ।।


उसूल तुम्हारा फिजूल हुआ...! 

जो तुम मुझे भूल गया.........!!


तुम शायद टूट चुके थे 

रिश्तों की अहमियत समझ चुके थे 

देख तुम्हारी दुर्दशा कुछ पल विचलित हुई 

मगर फिर पुराने ज़ख्म की धुंध सी छाई 

जैसे ही तुम्हें आलिंगन के लिए कदम बढ़ाया 

तभी सहसा याद कुछ ज़रा आया ।।


मन में उत्पन्न कई त्रिशूल हुआ...! 

जो तुम मुझे भूल गया............!!


तुम वही थे जो मुझे ठुकरा चुके थे 

किसी और का हाथ थाम चुके थे 

तुम्हें पाने के लिए मैं पागल सी बेचैन थी 

पर तुम तक ना पहुंचती मेरी कोई आह थी 

फिर हारकर मैंने दिल को समझा लिया 

तुम नहीं दुनिया में ये भ्रम मन में पाल लिया ।।


जीवन मुरझाया हुआ फूल हुआ...! 

जो तुम मुझे भूल गया..............!!


अपने अकेलेपन को हंसकर गले लगा लिया 

तुम्हारी हर चीज को घर से हटा दिया 

पर जानते हो ! मन में एक कसक थी 

तुम आओगे एक दिन ये आस थी 

तुम्हारी हर गुनाह को माफ कर दूंगी 

फिर से मकान को अपने घर कर लूंगी ।।


पर तुम्हारा रवैया 

कांटों भरी बबूल हुआ...! 

जो तुम मुझे भूल गया...!!


....पर तुम नहीं आए 

मन में कड़वाहट छाए 

और आज जब तुम पास हो 

तो अपना नहीं सकती 

तुम्हारे गुनाहों को माफ कर नहीं सकती 

सुनो तुमने बहुत देर कर दी आने में 

शिकायतों की धूल हटाने में ।।


वो कसमें वो वादे सब धूल हुआ...! 

जो तुम मुझे भूल गया..............!!


सुनो अब मत आना 

मेरे हौसले को अब कमजोर ना करना 

क्योंकि मैं सीख चुकी हूं अकेले जीने का हुनर 

बना लिया अपने सपनों का एक नया शहर 

सुनो अब तुम मत आना 

खयालों में भी नहीं आना ।।


तुमसे भूल हुआ...........! 

जो तुम मुझे भूल गया...!!


स्वरचित एवं मौलिक

मनोज शाह 'मानस'

manoj22shah@gmail.com

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